बुधवार, 28 जून 2017

कवि के साथ


कवि के साथ
हाल के दिनों तक बंगाल में इस बात की कल्पना नहीं की जा सकती थी कि कविता लिखने पर किसी कवि को मुकदमे में फंसाया जा सकता है। धमकियों या आपत्तियों की बात दिगर है। लेकिन जो संभव नहीं था या जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी, वह अब होने लगा है।  एक कवि को कविता लिखने के अपराध में न केवल धमकियां मिलीं , उसके खिलाफ मुकदमा भी दायर किया गया। लेकिन संतोष की बात यह है कि समाज में आजाद कलम के पक्ष में खड़े होने वालों की भी कमी नहीं । यह भरोसे की बात समाचार चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया पर दिखी है। पिछले शनिवार को तो कोलकाता की सड़कें भी इसकी गवाह बनीं। बंगला कवि श्रीजात बनर्जी के बहाने कविता के हक में, यूं कहें कि अभिव्यक्ति की आजादी के हक में सड़क पर उतर आए कवि, लेखक, कलाकार, बुद्धिजीवी। कालेज स्क्वायर से धर्मतला के वाई चैनल तक निकाले गए उस जुलूस में देश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता के खिलाफ नारे लगाए गए और कवि पर धार्मिक भावना पर चोट करने के गैर जमानती मामले को वापस लेने की मांग की गई। इस जुलूस में मंदाक्रांता सेन,अंशुमान कर, श्यामलकांति दास, शंकर चक्रवर्ती,रोशानारा मिश्र, किन्नर राय,समीर आईच, सनातन दिंदा, अरूणाभ गांगुली,सारण दत्त,इमानुल हक आदि शामिल हुए। इसमें अम्बिकेश महापात्र भी थे, जिन्हें कार्टून बनाने के अपराध में जेल जाना पड़ा था।जिसकी वजह से ममता सरकार की हर तरफ निंदा हुई थी। बाद में वे बेगुनाह करार दिए गए और उनकी मानहानि के एवज में ममता सरकार को जुर्माना भी अदा करना पड़ा था। लेकिन इस बार ममता जी भी कवि के पास खड़ी हैं। उनके परिवारजन की सुरक्षा के मद्देनजर एक सुरक्षा कर्मी को तैनात किया गया है।
जिस कविता को लेकर विवाद पैदा हुआ उसे 19 मार्च को श्रीजात ने फेसबुक पर पोस्ट किया था। दो दिन बाद विश्व कविता दिवस के दिन उन्हें पता चला कि उनकी कविता से हिंदू संगठन से जुड़े  एक शख्स की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है। इसलिए सिलीगुड़ी के उस नौजवान ने उनके खिलाफ  मुकदमा दर्ज कराया है । श्रीजात बनर्जी ने अपनी कविता में कब्र से निकाल कर बलात्कार करने की मानसिकता पर चोट की है । फेसबुक पर बारह पंक्ति की इस कविता को हजारों लोगों ने पसंद किया, प्रशंसा की तो बहुत सारे लोगों ने इसकी निंदा की और अश्लील टिपण्णियों के साथ कवि को धमकियां भी दी। बाद में विवाद को बढ़ते देख फेसबुक ने उस कविता को हटा दिया । इसको लेकर कुछ सज्जनों को आपत्ति थी। ये सज्जन लगातार उसे शिकायत पहुंचा रहे थे कि उस कविता से उनकी धार्मिक भावना को चोट पहुंची है, सो उसने अभिशाप शीर्षक वाली कविता को हटा दिया।
दिलचस्प इस तथ्य को जानना है कि जिस कविता पर  घमासान के मंजर सामने आए, उसे 19.03.2017 के सुबह 08.25 बजे तक 18 हजार से ज्यादा लोगों ने पसंद किया । 4622 लोगों ने साझा किया  और पक्ष-विपक्ष में हजारों लोगों ने टिप्पणियां की है। दरअसल, नाराज लोगों को कब्र से बाहर निकाल कर बलात्कार करने की मानसिकता पर सवाल उठाती इस कविता के आखिरी दो पंक्तियों से धर्म खतरे में पड़ता नजर आने लगा। इससे  उनकी धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंची। यह संभव है। लेकिन इस पर बहस या  महज आपत्ति जताना पर्याप्त नहीं लगा। धमकियां भी काफी नहीं लगी। सो मुकदमा भी दायर कर दिया गया। श्रीजात को इससे पहले भी बांग्लादेश के ब्लागरों की हत्या के बहाने बढ़ती इस्लामी कट्टरता के खिलाफ कविता लिखने पर धमकियां मिल चुकी हैं। लेकिन इस बार मुकदमे का सामना करना पड़ा। बनर्जी की कविता से नाराज इन काव्य मर्मज्ञों को बारह लाइन वाली कविता के मूल स्वर से भी शायद दिक्कत हो, लेकिन इस पद पर ज्यादा गुस्सा है-
आमाके घर्षन कोरबे जदिन कबर थेके तुले
कंडोम पोराने थाकबे, तुमार उई धर्मेर त्रिशूले
 यानी कब्र से निकाल कर जितने दिन मेरा बलात्कार करना अपने धर्म रूपी त्रिशूल को कंडोम पहनाए रखना।
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में हुई एक सभा में एक वक्ता अपने जोशीले भाषण में महिलाओं को कब्र से निकाल कर बलात्कार करने की बात करता है। इस भाषण का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है। इसी मानसिकता के खिलाफ यह कविता है। जाहिर है कि शर्मनाक और निंदनीय उस  इरादे से बड़ा गुनाह हो गया काव्यात्मक भाषा में कंडोम-त्रिशूल का इस्तमाल करना।
हालांकि, यह संभव है कि कवि की इस भाषा से हम सहमत न हो, पर इसी आधार पर किसी रचनाकार को मुकदमें में घसीटा जाना चाहिए। धमकियों की बौछार शुरू कर देना चाहिए बहस की कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़नी चाहिए। यह सोच लिखने-पढ़ने-बोलने की आजादी के रास्ते में बड़ा रोड़ा से कम नहीं। और कोलकाता या बंगाल को इस तरह की बंदिशें मंजूर नहीं। महज 42 साल के इस कवि के हिस्से कविता की दो दर्जन से अधिक किताबें हैं,कई संपादित किताबें हैं। सम्मानित आनंद पुरस्कार है, एक गीत के लिए हासिल फिल्म फेयर पुरस्कार है। भारी संख्या में पाठक हैं। सोशल मीडिया पर भी से जबरदस्त उपस्थिति है।  इनकी किसी भी पोस्ट पर औसतन चार हजार की पसंद, औसतन चार सौ का साझाकरण और टिप्पणियां भी सैकड़ों-हजारों में मिलती रही है। जाहिर है कि कविता अनुरागी समाज इस विवाद से दुखी और चिंतित है।  

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