आत्माएं
कुछ सोई हुई होती हैं कुछ बेहोशी में कुछ पत्थर में तब्दील कुछ तृप्त बेचैन आत्माएं भी कहाँ कम होती हैं तलाशिये तो आसपास ही मिल जाएंगी तमाम
मगर बच के निराशा में डुबो देंगी वे आकंठ
24.07.2020
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