देवी
हार-जीत की भेंट तुम ही
शिकार बदले की, तुम ही
प्रेम-छल की, तुम ही
तेल-तेजाब की, तुम ही
कभी भी, कही भी,
बना दी जाती हो
लाश तुम ही
हर किस्म की
हैवानियत की शिकार तुम ही
उस देश में, जहां तुम्हें देवी कहते हैं..
हार-जीत की भेंट तुम ही
शिकार बदले की, तुम ही
प्रेम-छल की, तुम ही
तेल-तेजाब की, तुम ही
कभी भी, कही भी,
बना दी जाती हो
लाश तुम ही
हर किस्म की
हैवानियत की शिकार तुम ही
उस देश में, जहां तुम्हें देवी कहते हैं..
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