विवस्त्र
खुद से ही
करता हूं संवाद
पूछता हूं
खुद से ही
बार-बार सवाल-
चाहा जो दूसरों से
खुद उसे कितना निभाया
टूटता हूं कभी
बहुत अंदर से
कभी बिखर-बिखर जाता हूं बाहर
नंग-धड़ंग प्रश्नों के सामने
विवस्त्र हो जाता हूं।
खुद से ही
करता हूं संवाद
पूछता हूं
खुद से ही
बार-बार सवाल-
चाहा जो दूसरों से
खुद उसे कितना निभाया
टूटता हूं कभी
बहुत अंदर से
कभी बिखर-बिखर जाता हूं बाहर
नंग-धड़ंग प्रश्नों के सामने
विवस्त्र हो जाता हूं।
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