मंगलवार, 31 जुलाई 2012

महंगा-सस्ता

कलम के सिपाही प्रेमचंद और उनकी रचनाभूमि के पात्रों को याद करते हुए

महंगा-सस्ता

डीजल महंगा
बिजली महंगी
महंगा खाद और पानी
महंगा सब कुछ
सस्ता बस
खून-पसीना
जो खेतों में बहता है।

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