दोस्तो,सोचता हूं कभी-कभी ब्लाग पर कुछ लिखूं।
फिलहाल एक पुरानी कविता आपके लिए-
चेहरा खिला
एक आदमी गिरा गढ्ढे में
घुटने में चोट आई
हाथ छिला
किसी का चेहरा
खिला।
फिलहाल एक पुरानी कविता आपके लिए-
चेहरा खिला
एक आदमी गिरा गढ्ढे में
घुटने में चोट आई
हाथ छिला
किसी का चेहरा
खिला।
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